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नज़्म
और हैं तकमील-ए-आज़ादी के चर्चे चार-सू
एक दिन बन जाएगा ये मुल्क जन्नत हू-बहू
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
आप ने फ़ित्ना-ए-जुनूँ आप से आप उठा दिया
हाथ में ले के मुश्त-ए-ख़ाक आप ने दिल बना दिया
इज्तिबा रिज़वी
नज़्म
आ कि वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझ से
जिस ने इस दिल को परी-ख़ाना बना रक्खा था